
रायपुर – हर किसी को अपने जीवन में कभी न कभी “इंटेंसिविस्ट” की जरुरत पड़ती है। इस बारे में एनएच एमएमआई के डॉ प्रदीप शर्मा जो डिपार्टमेंट ऑफ़ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में बतौर सीनियर कंसल्टेंट अपनी सेवाएं दे रहे है, उनका एक आलेख इस पर ही केंद्रित है। डॉ शर्मा ने बताया कि ये आलेख उन्होंने
आईएससीसीएम डे 2020 के उपलक्ष पर जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा है। आईए आपको भी बताते है आख़िर क्या होता है “इंटेंसिविस्ट”
कौन होता है इंटेंसिविस्ट?
इंटेंसिविस्ट एक प्रशिक्षित फिजिशियन होता है जो बेहद गंभीर मरीजों की ख़ास देखभाल करता है, जिसे क्रिटिकल केयर फिजिशियन के नाम से भी जाना जाता है। एक इंटेंसिविस्ट के पास जटिल और गंभीर मरीजों के इलाज का आधुनिक प्रशिक्षण व अनुभव होता है।
एक इंटेंसिविस्ट के पास किस प्रकार का प्रशिक्षण होता है?
एमबीबीएस करने के बाद इंटेंसिविस्ट एनेस्थिसियोलॉजी, इंटरनल मेडिसिन, पल्मोनरी मेडिसिन या पीडियाट्रिक आदि की स्पेशलिटी में डिप्लोमा करता है एमडी करता है या प्रैक्टिस करता है, साथ ही क्रिटिकल केयर मेडिसिन में अतिरिक्त अनुभव या फ़ेलोशिप लेता है।
एक इंटेंसिविस्ट बाकी गंभीर मरीजों के इलाज के स्पेशलिस्ट्स से किस तरह अलग होता है ?
किसी एक बॉडी सिस्टम पर केन्द्रित न होकर एक इंटेंसिविस्ट व्यापक रूप से आईसीयू के मरीज़ों की देखभाल करता है। एक इंटेंसिविस्ट पर बाकी स्पेशेलिस्ट्स की तरह आईसीयू के मरीजों की देखभाल के साथ साथ सलाहकार के रूप में भी प्राथमिक ज़िम्मेदारी होती है। इस भूमिका के अंतर्गत उसकी बाकी अलग अलग स्पेशलिटीज़ के साथ मरीज़ की देख रेख कर रहे लोगों की टीम को नेतृत्व देने की होती है। वह मरीज़ की गंभीर स्थिति में उसकी की देख रेख में लगे लोगों द्वारा लिए जाने निर्णयों को भी देखता है और स्पेशलिस्ट्स के साथ साथ वे तमाम सेवायें जिनकी मरीज़ को ज़रूरत हो सकती है उसमें सहयोग करता है।
एक इंटेंसिविस्ट आईसीयू केयर की गुणवत्ता में कैसे सुधार करता है?
एक इंटेंसिविस्ट एविडेंस बेस्ड गाइडलाइन्स यानी साक्ष्यों पर आधारित दिशा निर्देशों का पालन करता है जिसमें मल्टीस्पेशेलिटी टीम एप्रोच भी शामिल है, जिसके लाभ कुछ इस प्रकार हैं :-
0 सर्वाइवल रेट या जीवन दर के साथ साथ मरीज़ों के आउटकम में सुधार
0 जटिलताओं में कमी
0 आईसीयू में मरीज़ के रहने की अवधि कम
0 मेडिकेशन सुरक्षा में बढ़ोतरी
0 भारत में अधिकतर इंटेंसिविस्ट एनेस्थिसियोलॉजिस्ट हैं क्योंकि वे ऐवे, वसोप्रेस्सेर और पेन मैनेजमेंट आदि में प्रशिक्षित हैं जो क्रिटिकल केयर का ज़रूरी हिस्सा माने जाते हैं। वे हृदय और श्वसन के रिससिटेशन में भी दक्ष होते हैं।